Haleem

Every morning brings a new ray of hope in our life.

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'हलीम उवाच'

क्या कहती दुनिया को देखो, दुनिया देती लानत मुझको।

है कहती फिरती गली-गली, मदिरा पीने की लत मुझको।

गंगाजल जब मैँ पीता था, कब दी इसने इज़्ज़त मुझको।

बदनाम हो रहे मंदिर हैँ, यह तो फिर ठहरा मदिरालय।

तेरा मेरा संबंध यही, तू मधुमय औ मैँ तृषित हृदय।

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